Monday, 17 July 2017

GST on Sanitary Pad Poem (Jingle)

सुनो सुनो सुनो

आओ तुम्हे एक नया और रंग दिखलाऊ,
GST से लागु हुआ नया एक पहलू बतलाऊ|

ना लेना-देना इससे आदमी से, या नाही मर्द की दिलचस्पी से|

फिर भी बढ़ा दिया दाम उसपे,
जो हर महीने आता था
औरत के पास दुम पकड़ के|

गाँव या शहर की छोरी,
जब मेन्युस्ट्रेशन आता तभी वो बोली,
माँ दो मुझे सेनिटरी पेड़,
वरना मेरा स्कर्ट दिखेगा रेड|

कहा से लाउ में इतना महंगा सफ़ेद रुई का कपडा?

में सूखे कपडे का इस्तेमाल करती हु, तू भी करले यह टुकड़ा|

ऐसे ही क्यों हम सहते गये और वह सेनिटरी पेड पे टेक्ष लादते गये|
अब तो समज जाओ सरकार,
मेन्युस्ट्रेशन विकल्प नहीं हैं,
इसे तो आना हैं बार बार, हरबार|

GST अब इसमें से हटाओ,
औरत की शहनशीलता को ठेस मत पहोचाओ|

A Pressure: More Than Shaadi Ka Pressure

Guess what? I am back with another write-up. Well, it’s been so long since my writing here. However, you guys might have questions about my ...