सुनो सुनो सुनो…
आओ तुम्हे एक नया और रंग दिखलाऊ,
GST से लागु हुआ नया एक पहलू बतलाऊ|
ना लेना-देना इससे आदमी से, या नाही मर्द की दिलचस्पी से|
फिर भी बढ़ा दिया दाम उसपे,
जो हर महीने आता था
औरत के पास दुम पकड़ के|
गाँव या शहर की छोरी,
जब मेन्युस्ट्रेशन आता तभी वो बोली,
माँ दो मुझे सेनिटरी पेड़,
वरना मेरा स्कर्ट दिखेगा रेड|
कहा से लाउ में इतना महंगा सफ़ेद रुई का कपडा?
में सूखे कपडे का इस्तेमाल करती हु, तू भी करले यह टुकड़ा|
ऐसे ही क्यों हम सहते गये और वह सेनिटरी पेड पे टेक्ष लादते गये|
अब तो समज जाओ सरकार,
मेन्युस्ट्रेशन विकल्प नहीं हैं,
इसे तो आना हैं बार बार, हरबार|
GST अब इसमें से हटाओ,
औरत की शहनशीलता को ठेस मत पहोचाओ|